पिछले कुछ सालों से उच्च शिक्षा विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि कॉलेज में प्रोफेसर केवल उपस्थिति दर्ज कराकर वापस घर लौट जाते हैं और कॉलेज में मौजूद नहीं रहते। जिस पर सख्त कार्यवाही करते हुए शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने सभी अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की। जिसमें फैसला किया गया है कि अब कॉलेज के प्रोफेसर की डिजिटल अटेंडेंस करवाई जाएगी और उन्हें कम से कम 6 घंटे कॉलेज में रहना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके वेतन में से कटौती की जाएगी और सार्थक ऐप के माध्यम से डिजिटल अटेंडेंस देनी होगी।

कॉलेजों में प्रोफेसरों की होगी डिजिटल अटेंडेंस
मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के बाद अब कॉलेज के प्रोफेसर और अन्य स्टाफ की अटेंडेंस को लेकर नया फरमान जारी किया है। जिसके मुताबिक कॉलेज में प्रोफेसर और कॉलेज स्टाफ की अटेंडेंस सार्थक ऐप के माध्यम से डिजिटली होगी। जिससे जो स्टाफ कॉलेज में कुछ घंटे आकर वापस चले जाते हैं, उन पर शिकंजा कसा जाएगा। कर्मचारियों को वेतन भी उनकी डिजिटल अटेंडेंस के आधार पर ही दिया जाएगा।
इसके साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि मार्च महीने का वेतन भी सार्थक ऐप में दर्ज उपस्थिति के आधार पर ही जारी किया जाएगा। हालांकि यह नया नियम पूर्ण रूप से जुलाई से लागू किया जाएगा। कॉलेज के DDO और प्राचार्य को अपने कॉलेज के स्टाफ की उपस्थिति हर महीने 30 तारीख को तैयार कर सबमिट करने की जिम्मेदारी होगी।
लगातार मिल रही थी शिकायतें
उच्च शिक्षा विभाग को स्टूडेंट और अन्य सोर्सेस से लगातार शिकायतें मिल रही थी कि कॉलेज में प्रोफेसरों सहित अन्य स्टाफ केवल कुछ घंटे मौजूद रहने के बाद वापस घर लौट जाते हैं। जिससे सीधे रूप से शिक्षा प्रणाली और छात्रों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। सरकार ने इस पर सख्ती से फैसला लेते हुए यह नए नियम बना दिए हैं। जिसके बाद प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, अतिथि शिक्षक, क्रीड़ा अधिकारी, जन भागीदारी समिति सहित गैर-शैक्षणिक स्टाफ पर भी लागू होता है। कॉलेजों के सभी कार्यकर्ता कॉलेज में हर कार्य दिवस के दिन कम से कम 6 घंटे मौजूद रहेंगे। अगर 6 घंटे से कम समय कॉलेज में मौजूदगी पाई जाती है तो उनके वेतन में सीधे रूप से कटौती कर दी जाएगी।
उच्च शिक्षा विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर कॉलेज का कोई भी स्टाफ इस नियम का पालन नहीं करता है अथवा किसी भी तरह से लापरवाही पाई जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी कॉलेज के प्राचार्य और DDO की होगी। जिन पर कार्यवाही की जा सकती है।
छुट्टी के लिए भी कर सकेंगे अप्लाई
कॉलेज के स्टाफ में से अगर किसी को भी छुट्टी की जरूरत है तो वह सीधे रूप से सार्थक ऐप के माध्यम से अपील कर सकता है। इसके साथ ही किसी भी प्रकार का कार्यालय सेल कार्यालय प्रचार भी सार्थक ऐप के माध्यम से होगा।
सार्थक ऐप क्या है ? इसके उद्देश्य क्या है
सार्थक ऐप मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लांच किया गया एक नवीनतम मोबाइल एप्लीकेशन है। जिसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को अच्छे से संचालित करना और पारदर्शिता बनाए रखना है। ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो सके और कॉलेज स्टाफ की भी समय की पाबंदी सुनिश्चित की जा सके।
स्टूडेंट भी कर सकते है शिकायत
ऐसे मामलों में छात्र की शिक्षा पर सीधा असर पड़ता है और यह शिक्षण व्यवस्था में लापरवाही को दर्शाता है। अगर कोई प्रोफेसर केवल हाजिरी लगवाकर क्लास छोड़ देता है, तो आप नीचे दिए गए तरीकों से उनकी शिकायत कर सकते हैं:
HOD: सबसे पहले आप अपने विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (HOD) या प्रिंसिपल को लिखित में शिकायत दें। शिकायत में क्लास का समय, तारीख, प्रोफेसर का नाम और घटना का संक्षिप्त विवरण साफ-साफ लिखें।
यूनिवर्सिटी स्तर पर शिकायत : अगर कॉलेज स्तर पर कार्रवाई न हो, तो आप संबंधित यूनिवर्सिटी के शिक्षा विभाग या डीन को शिकायत भेज सकते हैं। ज्यादातर यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर “Student Grievance” सेक्शन होता है जहां आप फॉर्म भर सकते हैं।
AICTE या UGC पोर्टल पर शिकायत : अगर आपका कॉलेज AICTE/UGC से मान्यता प्राप्त है, तो आप AICTE के grievance redressal portal या UGC की हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
- AICTE grievance portal: https://www.aicte-india.org/feedback
- UGC Helpline: https://www.ugc.ac.in/grievance/
निष्कर्ष : इस हिंदी न्यूज़ आर्टिकल में हमनें मध्यप्रेश सरकार द्वारा कॉलेज शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए जो ठोस कदम उठाये गए है, उनके सम्बन्ध में जानकारी दी गई है. यह सम्पूर्ण जानकारी इंटरनेट से ली गई है. जिसमें कोई एरर/त्रुटि पाई जाती है, तो हमें सूचित करें। हम उसकी जाँच कर संसोधन की ज़िम्मेदारी लेते है.